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तुम अपनी बेवफाई अजमाओ
हम अपनी मोहब्बत अजमाते है ।
तुम अपने नाराजगी अजमाओ
हम अपनी दीवानगी अजमाते है ।
तुम अपनी गलतियां अजमाओ
हम अपनी रोती निगाहे अजमाते है ।
तुम अपनी बेवफाई अजमाओ
हम अपनी मोहब्बत अजमाते है ।
देखेंगे की कब तक देख सकोगी आखों में मेरी।
देखेंगे कब तक सुन सकोगी टूटे दिल की दलीलें मेरी ।
देखेंगे कब तक सह सकोगी ये आखों की चुबन मेरी
देखेंगे कब तक पड़ सकोगी गुमनाम कहानी मेरी ।
अजमाते है तुमारी बेवफाई या मोहब्बत मेरी
किसका हिस्सा भारी है तुमारी झुठी मुस्कान का ।
या मेरे इन झलकते आसू का ।
किसका हिस्सा भारी है तुमारी फरेबी आखों का
या मेरी तड़पती निगाहों का ।
आखिर किसका हिस्सा भारी है तुमारी बेवफाई का
या मेरी बेदाग मोहब्बत का ।
kajal Pathak..

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