...

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कुछ पन्ने यादों के.....
ऐसी ही सुनहरी भोर हुई थी उसदिन भी
मन था कुछ लिखा जाए
पर मूड को जरा धार देना था सो
मैने सोचा कुछ पढता हूं
तभी .....
नजर टिक गयी एक पोस्ट पे
बडे सलिके से लिखा गया था
मन मचल गया मेरा
दीमाग मे बहुत सारे लफ्जो की बरीस होने लगी
सदा गंभीर रहनेवाले मेरे मन को आज
कौन से पर लग गये थे
आजाद होकर अपनी कुंठाओ से
अपने कंधो पे यादों के लाश को ढोता हुआ मन
नये रंगों की चाहत कर बैठा
सो मैने उस पोस्ट पर कोलैब कर दिया।
लिखनेवाली ने पढा और वो
अगले ही पल मेरे प्रोफाइल पे आइ
फिर वो लिखती रही और मै
उसके सभी पोस्ट पे कोलैब करता रहा
उसके प्रत्येक पोस्ट को मै सरस करता रहा
मेरे कविताओ के रस उसको भिगोते रहे
मैने उन्हें देखा तो नही था
पर आश्चर्य
उनकी धडकने मुझे सुनाई देने लगे थे।
उनकी कविता और मेरे कोलैब
मेरी कविता और उनके कोलैब
बस सिलसिले शुरू हुए बातों के
वो पोस्ट डालकर
मेरे कोलैब का बेसब्री से प्रतीक्षा करती
बेकरारी उनकी मुझसे छिपी नही थी
पता नही कब
उन्ही सिलसिलो से कब वो धागे बनने लगे
जिससे हम दोनो बंधते चले गये
फिर उनमे प्रेयसी के सारे गुण प्रकट होने लगे
चाहत थी मुझसे मिलने की
बेकरारी थी मुझसे बातें करने की
पर उससे भी ज्यादा मुझे सताने की
अपनी तडप छुपाने की ।
यही सर्दियों के दिन थे
मन नयी उर्जा लिए जवान हो गया था
मन मेरा उन्हे स्वीकार कर लिया था
पर जैसा की लडकियों के जेवर होते है
इकरार तभी करती है जब
भरोसा पक्का हो
निर्णय लेना उनके लिए भी कठिन था
उन्होंने भी तो मुझे देखा नही था
सिर्फ कविताए पढकर किसीको जाना नही जाता
इसलिए हांमी नही भरी थी
पर मै तो मान चुका था
दिल हार चुका था
हमारे तो नैन मिले भी न थे पर
मन मिल गये थे, इसलिए उन्होंने भी
अपने प्रेम को समर्पित किया
मै धन्य हुआ
और आजतक हम साथ है
हाथों मे हाथ है
प्यार की बरसात है
वो
मैरे जीवन मे परमात्मा का दिया हुआ
बेहतरीन सौगात है❤❤❤