कुछ पन्ने यादों के.....
ऐसी ही सुनहरी भोर हुई थी उसदिन भी
मन था कुछ लिखा जाए
पर मूड को जरा धार देना था सो
मैने सोचा कुछ पढता हूं
तभी .....
नजर टिक गयी एक पोस्ट पे
बडे सलिके से लिखा गया था
मन मचल गया मेरा
दीमाग मे बहुत सारे लफ्जो की बरीस होने लगी
सदा गंभीर रहनेवाले मेरे मन को आज
कौन से पर लग गये थे
आजाद होकर अपनी कुंठाओ से
अपने कंधो पे यादों के लाश को ढोता हुआ मन
नये रंगों की चाहत कर बैठा
सो मैने उस पोस्ट पर कोलैब कर दिया।
लिखनेवाली ने पढा और वो
अगले ही पल मेरे प्रोफाइल पे आइ
फिर वो लिखती रही और मै
उसके सभी पोस्ट पे कोलैब करता रहा
उसके प्रत्येक पोस्ट को मै सरस करता रहा
मेरे कविताओ के रस उसको भिगोते रहे
मैने उन्हें देखा तो नही था
पर आश्चर्य
उनकी धडकने...
मन था कुछ लिखा जाए
पर मूड को जरा धार देना था सो
मैने सोचा कुछ पढता हूं
तभी .....
नजर टिक गयी एक पोस्ट पे
बडे सलिके से लिखा गया था
मन मचल गया मेरा
दीमाग मे बहुत सारे लफ्जो की बरीस होने लगी
सदा गंभीर रहनेवाले मेरे मन को आज
कौन से पर लग गये थे
आजाद होकर अपनी कुंठाओ से
अपने कंधो पे यादों के लाश को ढोता हुआ मन
नये रंगों की चाहत कर बैठा
सो मैने उस पोस्ट पर कोलैब कर दिया।
लिखनेवाली ने पढा और वो
अगले ही पल मेरे प्रोफाइल पे आइ
फिर वो लिखती रही और मै
उसके सभी पोस्ट पे कोलैब करता रहा
उसके प्रत्येक पोस्ट को मै सरस करता रहा
मेरे कविताओ के रस उसको भिगोते रहे
मैने उन्हें देखा तो नही था
पर आश्चर्य
उनकी धडकने...