...

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कुछ इस तरह
करते हैं प्यार जिसे हम जान की तरह
वो जान के मिलता हैं अंजान की तरह

ये तन्हाईयाँ ये ख़ामोशियाँ तो गवाह हैं
हम अपने ही घर में मेहमान की तरह

हम चेहरों में छुपाए हैं तूफ़ाँ ज़िंदगी के
पर चुप हैं काग़ज़ी गुल-दान की तरह

दिल का शहर तो वैसे भी बर्ख़ास्त था
आप बना गए इसे शमशान की तरह

हम ने माँग कर दुआएँ मर जाने की
फिर ज़िंदगी माँगी अरमान की तरह

वक़्त-ए-रुख़्सत में कहे सँभालो केतन
उन का प्यार भी था एहसान की तरह
© Ketan