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गज़ल
मन नहीं करता अब लिखने का
पर मन में खयाल बहुत हैं,
पूछते नहीं अक्सर चुप ही रहते हैं
पर दिल में सवाल बहुत हैं ।।
हां, रोज़ मुस्कुरालेते हैं हम
पर इस सीने में मलाल बहुत है,
माना छोटी सी जिंदगी है
पर इस में भी जवाल बहुत हैं ।।
माना कई कदमों की फिसाल है
हमारे और आपके दरमियान
पर गौर से देखो न !
इस रिश्ते में भी निराल बहुत है ।।
पर मन में खयाल बहुत हैं,
पूछते नहीं अक्सर चुप ही रहते हैं
पर दिल में सवाल बहुत हैं ।।
हां, रोज़ मुस्कुरालेते हैं हम
पर इस सीने में मलाल बहुत है,
माना छोटी सी जिंदगी है
पर इस में भी जवाल बहुत हैं ।।
माना कई कदमों की फिसाल है
हमारे और आपके दरमियान
पर गौर से देखो न !
इस रिश्ते में भी निराल बहुत है ।।
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