आसमान...
मैं जब भी आसमान को देखती हूं तोह लगता है, कि जैसे वो मुझसे कुछ केह रहा है।
कह रहा है जैसे की, तू क्यों ढूंढे किसी मे वफ़ा जब जाने है की अकेला ही मुसाफिर है तू।
फिर क्यों रखे है तू आस की होगा कोई जो समझेगा तुझे और तेरे दिल को।
में जानता हूं तू इस दुनिया से वाखिफ नही, लेकिन लोग तोह भगवान से भी मतलब के लिए...
कह रहा है जैसे की, तू क्यों ढूंढे किसी मे वफ़ा जब जाने है की अकेला ही मुसाफिर है तू।
फिर क्यों रखे है तू आस की होगा कोई जो समझेगा तुझे और तेरे दिल को।
में जानता हूं तू इस दुनिया से वाखिफ नही, लेकिन लोग तोह भगवान से भी मतलब के लिए...