दोनों झूठे हैं या मैं
#चाँदसमुद्रसंवाद
कौन सी कविता लिखता है वो,
भूखे पेट जो आता है,
नंगे पैरों में कंकड़ के बीज लिए,
तेरे स्थिर शीतल पानी में जो,
बह जाता है,
हाथ जिसके स्याही से नहीं,
ईट के भट्ठों में काम करके गर्म हो जाता है,
झूठा है रे तू समंदर,
तू कहां सपने स्नेह लुटा पाता है,
तू बता रे,
चांद,
तू कौन सा प्रेम जताता है,
थकी हारी उस स्त्री को,
जो पसीने से लथपथ,
रसोई से आके...
कौन सी कविता लिखता है वो,
भूखे पेट जो आता है,
नंगे पैरों में कंकड़ के बीज लिए,
तेरे स्थिर शीतल पानी में जो,
बह जाता है,
हाथ जिसके स्याही से नहीं,
ईट के भट्ठों में काम करके गर्म हो जाता है,
झूठा है रे तू समंदर,
तू कहां सपने स्नेह लुटा पाता है,
तू बता रे,
चांद,
तू कौन सा प्रेम जताता है,
थकी हारी उस स्त्री को,
जो पसीने से लथपथ,
रसोई से आके...