apni marzi ka....
लेके मज़ा अपनी बरबादी का,
तेर गए ये दरिया भी गुमनामी का,
क्या सहरा क्या सागर दिलकश आंखों का,
प्यास ही ना बुझी पीया जाम भी आवारगी का,
...
तेर गए ये दरिया भी गुमनामी का,
क्या सहरा क्या सागर दिलकश आंखों का,
प्यास ही ना बुझी पीया जाम भी आवारगी का,
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