बढ़ते चलें
आज का युग
बढ़ रहा है तेजी से
साथ चलें पकड़े हुए
छूट ना जाए उसके हाथ से
नहीं अस्तित्व मेरा कहां रहेगा
मैं उसी प्रकार अस्तित्व विहीन रह जाऊंगा जैसे एक बूंद समुद्र में |
हमें कोई नहीं देखेगा
क्योंकि कौन देखे
सभी बढ़ गए हैं
अपने को गति में लिए हैं
सभी की एक मंजिल है
मेरी भी...
बढ़ रहा है तेजी से
साथ चलें पकड़े हुए
छूट ना जाए उसके हाथ से
नहीं अस्तित्व मेरा कहां रहेगा
मैं उसी प्रकार अस्तित्व विहीन रह जाऊंगा जैसे एक बूंद समुद्र में |
हमें कोई नहीं देखेगा
क्योंकि कौन देखे
सभी बढ़ गए हैं
अपने को गति में लिए हैं
सभी की एक मंजिल है
मेरी भी...