मकां क्या है
वो रोज़ आईने ख़ुद देखते रहते हैं,
कभी ख़ुद से दुनिया से फरेब करते हैं,
क्या ख़ूब ख़ेल है उनकी नज़रों का,
जिसको देखे घायल हो जाता है,
और मचा हुआ है पुरे शहर में कोहराम,
अरे कोई जाय तो पुछे उनसे,
इस अदा-ए-इश्क का मकां क्या है।
कभी ख़ुद से दुनिया से फरेब करते हैं,
क्या ख़ूब ख़ेल है उनकी नज़रों का,
जिसको देखे घायल हो जाता है,
और मचा हुआ है पुरे शहर में कोहराम,
अरे कोई जाय तो पुछे उनसे,
इस अदा-ए-इश्क का मकां क्या है।