...

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आसमान के परिंदे


वो नन्ही सी जान मेरी,
तू कितनी ऊंचाई पर जाती है।
तुझे भय नहीं है ऊंचे आसमान से,
जो पंख फैलाकर जाती है।

हे! परिंदे तेरे जिस्म में,
कितने जोश भरे है।
जो इतनी दूरियां तय करती है।
जो तू सरलतम उड़ान भरती है।

हे! आसमान के परिंदे,
मुझे भी ले चल साथ अपने।
मैं भी सीख जाऊं तेरी तरह उड़ना ,
जो देखता हूं दिन रात सपने।
© मनोज कुमार