शोर
ये बड़े शहर के शोर की गजब है माया
चारो ओर शोर है पर अपने अंदर है सन्नाटा छाया
यहाँ ना जाने कितनी आवाजे दबा जाती
इस शोर से तो अपने अंदर की चीखे भी सुनाई नहीं देती
वो कानो को भाने वाला शोर कही अंतर्मन को झंझोर के रख देता है
मन पुकारता रहता है
पर... पर..
ये शोर फिर उस चीख को दबा देता है
इंसान मे मानो इंसानियत खो सी गयी है
इस...
चारो ओर शोर है पर अपने अंदर है सन्नाटा छाया
यहाँ ना जाने कितनी आवाजे दबा जाती
इस शोर से तो अपने अंदर की चीखे भी सुनाई नहीं देती
वो कानो को भाने वाला शोर कही अंतर्मन को झंझोर के रख देता है
मन पुकारता रहता है
पर... पर..
ये शोर फिर उस चीख को दबा देता है
इंसान मे मानो इंसानियत खो सी गयी है
इस...