एक अनपढी किताब...📚📚📚😔✍️
कोई फिर से पढ़ें मुझे
फिर नशा सा चढ़े मुझे
बेकार हो गयी हूं पड़ी पड़ी
बातें बताती हूं मैं बड़ी बड़ी
पहले लोग सब के सब निराले थे
रात भर मेरी बाहों में बाहें डाले थे
मैं सबको भरपूर ज्ञान देती थी
अपने बच्चों पर ध्यान देती थी
सबने कर दिया है अब अकेला मुझे
किसी अंधेरे कमरे में ढकेला मुझे
सदियों से बन्द हूं काली हो गयी हूं
कोई पढ़ें तो सही मतवाली हो रही है
फोन के चक्कर में मुझे भूल गये हैं
वक्त की मेरे सर...
फिर नशा सा चढ़े मुझे
बेकार हो गयी हूं पड़ी पड़ी
बातें बताती हूं मैं बड़ी बड़ी
पहले लोग सब के सब निराले थे
रात भर मेरी बाहों में बाहें डाले थे
मैं सबको भरपूर ज्ञान देती थी
अपने बच्चों पर ध्यान देती थी
सबने कर दिया है अब अकेला मुझे
किसी अंधेरे कमरे में ढकेला मुझे
सदियों से बन्द हूं काली हो गयी हूं
कोई पढ़ें तो सही मतवाली हो रही है
फोन के चक्कर में मुझे भूल गये हैं
वक्त की मेरे सर...