...

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धरा की पुकार
**धरा की पुकार**

बढ़ रही मानव तेरी आवादी
ला रहा क्यों तू बरबादी ?
जंगल जंगल काट रहा है,
मुझको क्यों तू छाँट रहा है ?

मैं हूँ धरती मैया तेरी,
तेरा जीवन चाह मेरी,
सह रही हूँ बर्बरता तेरी,
सुन ले अब तू आह ये मेरी ।

छोड़ दे तू...