...

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तेरा एहसास
किताबों में रखे गुलाब सा कोई महका गया
ख़्वाब में आकर मेरे गालों को सहला गया
आज भी अहसास हाथों का महसूस होता है
जो हर पल मेरे लम्हों को यादगार बना गया
आँख खुली तो जाना एक सपना ही था
जाने क्यूँ सपने को ज़िन्दगी का हिस्सा बना गया
आज खुली आँखों से भी महसूस होता है
रोम रोम बसने का अहसास अपना करा गया
लिखती हूँ तुझको
पढ़ती हूँ तुझको
हर रंग,हर शय में
देखती हूँ तुझको
मेहंदी के रंग में
चूड़ियों की खनक में
माथे की बिंदियाँ में
पल-पल निहारती हूँ तुझको
तेरा अक्स हर रूप में समाँ गया
मेरे ख़्वाबों में आकर
हर क़तरे में
आकर ख़ुद को बसा गया
🌹🌹🌹🌹🌹
© गुलमोहर