...

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कैसे कह दूँ की प्यार दो तरफ़ा है
जब आँसू निकले थे मेरी आँखों से पहली दफा
तुमने उन्हें पोंछने के लिए हाथ आगे बढ़ाया ही नहीं
फिर कैसे कह दूँ की प्यार दो तरफा है
तुमने तो कभी जताया ही नहीं।
चलो मान लिया तुम्हें जताते नहीं आता
इश्क़ का परचम लहराते नहीं आता
मै आँखे भी पढ़ सकती थी तुम्हारी
पर तुमने आँखों से आँखों को मिलाया ही नहीं
फिर कैसे कह दूँ की प्यार दो तरफ़ा है
तुमने तो कभी जताया ही नहीं ।
नज़रअंदाज करना तो तुम्हें बखूबी है आता
दिल के टुकड़े करना भी तुम्हें बहुत है भाता
इस दर्द-ए-दिल की बातें कैसे बताऊँ तुम्हें
फ़र्क़ पड़ता है मुझे पर तुमने कभी माना ही नहीं
कैसे कह दूँ की प्यार दो तरफा है
तुमने तो कभी जताया ही नहीं ।
©️ काजल नायक
© kajal Nayak (kaju)