दिल की कसक,,,
दिल की कसक को अशआर में बयां कर जाना
आसां नहीं होता यूं जख्मों को अयां कर पाना,,
मुझे तुझ से गिला है ना गर्ज तेरी जात से
मगर तकलीफ देता है, यूं तेरा बिछड़ जाना,,,
मुझे उल्फत है तुझ से ना शिकायत कोई
मगर...
आसां नहीं होता यूं जख्मों को अयां कर पाना,,
मुझे तुझ से गिला है ना गर्ज तेरी जात से
मगर तकलीफ देता है, यूं तेरा बिछड़ जाना,,,
मुझे उल्फत है तुझ से ना शिकायत कोई
मगर...