...

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दिल के घाव
ये जो तुम्हारे दिल मे भी धीरे धीरे जो चल रहा है,
मुझे सब पता चल रहा है,
मोमबत्ती को भी कहा इल्म था,
उसको उसी के धागे ने उसे ही धीरे धीरे खत्म करहा है,
मुझे भी तेरे अंदर जो छुपी हुई महोब्बत है,
वह मुझे अंदर ही अंदर खत्म कर रही है।
तुझे भी पता है मुझे तुमसे इतना प्यार है,
तेरे सिवा मैने दिल मे किसी ओर के लिए जगह नही रखी,
तू कहती है मै इतनी चालक हु तुम इतने भोले हो कहा हमारा मिलना होगा,
ये तेरी बातो ने मेरे दिल पर जो घाव दिए हैं,
इन घावों को देखकर हम इतना डर गए,
अब तो मरहम लगाने से भी डर लगता है,
तुमने तो कहना होता है हम एक जात के नही है,
मै दिन हु तुम रात हो,
अब इन बातों में क्या रखा है ,
तुम इन बातों से ना बहलाओ,
तुम मेरे दिल के घावों पर मरहम ना लगाओ।
मै धीरे धीरे अब मरने वाला हु,
अब तुम आवाज मत लगाना,
तुम सीधे दौड़ी चली आना,
मुझे सीने से लगा लेना,
शायद तेरी बाहों में रहने से
मै बच जाऊ,
तुम बातो से दिल ना बहलाना,
तुम मेरे घावों पर मरहम ना लगाना।
© Verma Sahab