तुम
तुम
मेरे जीवन में
मेरी साॅंस हो
धड़कन हो हृदय की
मेरी छाया सदृश
समय के हर पल में
मेरे साथ
मेरा स्व,मेरा निज,मेरा संपूर्ण
हो तुम।
तुमसे दूर
ख़ुद के अस्तित्व का
अस्तित्व कैसा?
क्षणिक कल्पना भी असंभव।
फिर भी
तुझसे दूर होना
नियति है यदि
तो...
मेरे जीवन में
मेरी साॅंस हो
धड़कन हो हृदय की
मेरी छाया सदृश
समय के हर पल में
मेरे साथ
मेरा स्व,मेरा निज,मेरा संपूर्ण
हो तुम।
तुमसे दूर
ख़ुद के अस्तित्व का
अस्तित्व कैसा?
क्षणिक कल्पना भी असंभव।
फिर भी
तुझसे दूर होना
नियति है यदि
तो...