Radha Rani
राधा ने सौ पीर सही,
सही पीर निज श्याम के लिए।
श्याम बसाए द्वारिका नगरी,
निज रानी रुक्मिणी के लिए।
राधा पुष्प नैंनों से बहाती,
कान्हा के विरह में अकुलाती।
रोज सुबह रुक्मिणी उठकर,
अपने कृष्ण की आरती गाती।
प्रेम जो है वो राधा है,
राधा से है प्रेम पावन।
रुक्मिणी श्रद्धा की मूरत,
दोनों...
सही पीर निज श्याम के लिए।
श्याम बसाए द्वारिका नगरी,
निज रानी रुक्मिणी के लिए।
राधा पुष्प नैंनों से बहाती,
कान्हा के विरह में अकुलाती।
रोज सुबह रुक्मिणी उठकर,
अपने कृष्ण की आरती गाती।
प्रेम जो है वो राधा है,
राधा से है प्रेम पावन।
रुक्मिणी श्रद्धा की मूरत,
दोनों...