...

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चाहिए था कुछ और ....
चाहिए था कुछ और ,लेकिन कुछ और मिल गया ।
चाहिए था तेरा प्यार,पर गमों की रात मिल गई ।।

रुपये कमाने की चाह मे अच्छी नींद ना आई ।
चले जब शमशान मे ,तो कमबख्त दौलत साथ ना आई ।।

कर रहे जिस शरीर पर हम सारी उम्र घमंड ।
आज पड़ा बेजान ये ,नही लग रही इसे ठंड ।।

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