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4 जून
#जून
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है,
कौन बनेगा समय का साहु,
हर सबका एक आघात है।
फिर नौका और खिवाईया बैठा,
दूर सफर तू साथ है,
चप्पू की छप - छप मधुर मिलन,
नदिया का पानी साफ है।
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है,
मृग त्रिणा की बात है,
सिंह राज्य मे सब सम्भव है,
बस दो टूक की बात है,
अनमोल विचार होते है सबके,
पीठ पीछे ही वार है,
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है।
© Ambuj Pathak
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है,
कौन बनेगा समय का साहु,
हर सबका एक आघात है।
फिर नौका और खिवाईया बैठा,
दूर सफर तू साथ है,
चप्पू की छप - छप मधुर मिलन,
नदिया का पानी साफ है।
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है,
मृग त्रिणा की बात है,
सिंह राज्य मे सब सम्भव है,
बस दो टूक की बात है,
अनमोल विचार होते है सबके,
पीठ पीछे ही वार है,
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है।
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