...

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फूल

मुस्कुराना शायद तुम्हारी आदा है,
इसलिए हर दीवाना शायद तुम पर फिदा हैं।
सबको तुम सिखाते हो,
चलना तुम बताते हो,
सब में समान हो,
ही धूप या छाव
सब में नबाब हो
बागों का गहना हो तुम
बहारों का क्या कहना हो,
मुस्कुराना शायद तुम्हारी अदा है,
इसलिए हर दीवाना तुम पर फिदा हैं
देवो का देव हो तुम
ख्वाबों का शेर हो तुम ,
निगाहों में बस जाते हो
अदावो से लिपट जाते हो ,
बहकाना शायद तुम्हारी आदा है,
इसलिए हर दीवाना तुम पर फिदा हैं।
खुशी के फूल हो तुम
सबके दिल में खिलते हो तुम,
अपनों से अपने कि तरह मिलते हो तुम,
सब में समान रहते हो,
मुस्कुराना शायद तुम्हारी आदा है,
इसलिए हर दीवाना शायद तुम पर फिदा हैं।
कांटो से घिरा रहते हो तुम ,
चारो तरफ से फूल फिर,
भी खिला रहते हो तुम,
जब डाल पर रहते हो,
मन में बसे सुगंध फैलाते हो
झर झर बिखरे राह में तो
टूटे अनुबंध जगाते हो ,
ख्वाब दिखना शायद तुम्हारी अदा है,
इसलिए हर दीवाना शायद तुम पर फिदा हैं।
जब पड़े रहते वर्षों किताबो के पन्ने में तुम,
सूखने के बाद भी हर,
दस्ता ताजा कर जाते हो
खुशबुओं के मंजर हो तुम ,
फूल बनकर सजना शायद तुम्हारी अदा है,
इसलिए हर दीवाना शायद तुम पर फिदा हैं।
जीवन में तुम हर पल न देना ,
साथ सिर्फ खुशियों का तुम,
लगा लेना गम को भी ,
कभी गले से और
दुःखी यो के काम आ जाना तुम ,
जैसे फूल कहीं भी जाय
कांटो में रहकर मुस्कराते हो तुम,
यहां तक की हर पल जब बिछड़े,
अपने पेड़ से तुम
फिर भी दूसरों की शोभा
बढ़ाते हो ,
हर मनुष्य के मन में मुस्कुराते हो,
मुस्कुराना शायद तुम्हारी अदा है,
इसलिए हर दीवाना शायद तुम पर फिदा हैं।


नाम कविता शर्मा
पानागढ़