नारी शक्ति 🙏🙌.......
मैं नारी हूँ मैं शक्ति हूँ मैं हर घर की अभिव्यक्ति हूँ ,मैं नारी हूँ सम्मान हूँ इस देश का अभिमान हूँ।
मैं गौरव हूँ मैं गाथा हूँ मैं सबके मन की आशा हूँ,घर समाज -देश मे सब मुझे यही बताते हैं मैं माता हूँ मैं बेटी हूँ मैं हर घर की अभिदाता हूँ।
घर में सबने मुझको जाना माना और लड़कों से भी बढ़कर प्यार दिया,इस स्वर्ग को पाकर मैंने हर जनम उनपर वार दिया।
मेरे हृदय मे सबके लिए प्रेम है मैं एक कोमल फुलवारी हूँ,जो खेले मेरे इज़्ज़त के साथ मैं उन सब राक्षसों के लिए आरी हूँ।
मुझे गर्व है मैं नारी हूँ मुझे गर्व है मैं नारी हूँ।
फिर भी मैं डरती हूँ मैं मरती हूँ जब सफर अकेली करती हूँ,इस घने अंधेरे सन्नाटे मे जाने किसकी परछाई हैं, हां सुना मैने जरूर किसी न किसी के कदमो की आहट मेरे कानों तक आई है।
मुझे अकेलापाकर उन दरिंदो ने मेरे ईमान को नोच दिया मैं तड़पती रही उस राह पर उन्होंने मुझे अकेला ही छोड़ दिया , मिट्टी में मिल गयी मेरी सारी इज़्ज़त जो मेरे घर का अभिमान थी पर कैसे वापिस लाऊं अपनी इज़्ज़त को मैं इस सच से अनजान थी।
मैं डरी हुई मैं सहमी हुई इस बुरे जमाने से रूठ गयी ,अरे! दर्द तो तब हुआ जब समाज के तानो से टूट गयी ।
वह लड़का है उसकी क्या गलती ?वे तो नई उम्र में बहक ही जाता हैं,तू कितनी गिर गयी तुझे नही पता कि लड़कों के सामने कैसे पेश हुआ जाता है।
मैं लड़की हूँ न लड़का नहीं बस यही प्रश्न इक आता है,तेरी यह दशा करने वाला बोल तेरा उससे क्या नाता है?
जो थे कभी साथ अपने अब उन सबने हाथ छुड़ाया है,यह समाज क्या घर वालों ने ही मेरा गला घोंट दबाया है।
ये कैसा है समाज?ये कैसी है दुनिया?
अब मैं किसपर हक जताउंगी?
अब तो केवल एक न्याय के तौर पर एक निबंध के रूप में किसी पन्ने पर उतरी जाउंगी ।
क्यों गयी अकेली रात में क्यों कोई नही था साथ में ,क्या मेकअप था ?क्या गहने थे ?क्या छोटे कपड़े पहने थे ?
की इस प्रश्नों के जंजाल में एक दरिंदा आज़ाद हो जाता है , काट दिए जाते हैं मेरे कोमल से पर को और मुझे घर में ही कैद कर दिया जाता है।
पर मैं हार नहीं मानूँगी अपना अस्त्तित्व नहीं मिटाऊंगी ,मैं भी कुछ ऐसा कर दिख लाऊंगी मैं भी अपने नाम से ही जानी जाउंगी ।
मुझे मिला हौसला उनसे जिसने मुझे अकेला छोड़ दिया,शुक्रगुज़ार हूँ मैं उन सबकी जिन्होंने उस पल मुझे अंदर ही अंदर तोड़ दिया ।
अब मैं भी इस दुनिया में एक मिसाल बन जाउंगी , खुश हूं यह जान कर की मैं इस ज़माने से लड़कर जीत गयी पर अपनो से ही हारी हूँ ।
हां मुझे गर्व है मैं नारी हूँ ,मुझे गर्व है मैं नारी हूँ।
........_anshu
मैं गौरव हूँ मैं गाथा हूँ मैं सबके मन की आशा हूँ,घर समाज -देश मे सब मुझे यही बताते हैं मैं माता हूँ मैं बेटी हूँ मैं हर घर की अभिदाता हूँ।
घर में सबने मुझको जाना माना और लड़कों से भी बढ़कर प्यार दिया,इस स्वर्ग को पाकर मैंने हर जनम उनपर वार दिया।
मेरे हृदय मे सबके लिए प्रेम है मैं एक कोमल फुलवारी हूँ,जो खेले मेरे इज़्ज़त के साथ मैं उन सब राक्षसों के लिए आरी हूँ।
मुझे गर्व है मैं नारी हूँ मुझे गर्व है मैं नारी हूँ।
फिर भी मैं डरती हूँ मैं मरती हूँ जब सफर अकेली करती हूँ,इस घने अंधेरे सन्नाटे मे जाने किसकी परछाई हैं, हां सुना मैने जरूर किसी न किसी के कदमो की आहट मेरे कानों तक आई है।
मुझे अकेलापाकर उन दरिंदो ने मेरे ईमान को नोच दिया मैं तड़पती रही उस राह पर उन्होंने मुझे अकेला ही छोड़ दिया , मिट्टी में मिल गयी मेरी सारी इज़्ज़त जो मेरे घर का अभिमान थी पर कैसे वापिस लाऊं अपनी इज़्ज़त को मैं इस सच से अनजान थी।
मैं डरी हुई मैं सहमी हुई इस बुरे जमाने से रूठ गयी ,अरे! दर्द तो तब हुआ जब समाज के तानो से टूट गयी ।
वह लड़का है उसकी क्या गलती ?वे तो नई उम्र में बहक ही जाता हैं,तू कितनी गिर गयी तुझे नही पता कि लड़कों के सामने कैसे पेश हुआ जाता है।
मैं लड़की हूँ न लड़का नहीं बस यही प्रश्न इक आता है,तेरी यह दशा करने वाला बोल तेरा उससे क्या नाता है?
जो थे कभी साथ अपने अब उन सबने हाथ छुड़ाया है,यह समाज क्या घर वालों ने ही मेरा गला घोंट दबाया है।
ये कैसा है समाज?ये कैसी है दुनिया?
अब मैं किसपर हक जताउंगी?
अब तो केवल एक न्याय के तौर पर एक निबंध के रूप में किसी पन्ने पर उतरी जाउंगी ।
क्यों गयी अकेली रात में क्यों कोई नही था साथ में ,क्या मेकअप था ?क्या गहने थे ?क्या छोटे कपड़े पहने थे ?
की इस प्रश्नों के जंजाल में एक दरिंदा आज़ाद हो जाता है , काट दिए जाते हैं मेरे कोमल से पर को और मुझे घर में ही कैद कर दिया जाता है।
पर मैं हार नहीं मानूँगी अपना अस्त्तित्व नहीं मिटाऊंगी ,मैं भी कुछ ऐसा कर दिख लाऊंगी मैं भी अपने नाम से ही जानी जाउंगी ।
मुझे मिला हौसला उनसे जिसने मुझे अकेला छोड़ दिया,शुक्रगुज़ार हूँ मैं उन सबकी जिन्होंने उस पल मुझे अंदर ही अंदर तोड़ दिया ।
अब मैं भी इस दुनिया में एक मिसाल बन जाउंगी , खुश हूं यह जान कर की मैं इस ज़माने से लड़कर जीत गयी पर अपनो से ही हारी हूँ ।
हां मुझे गर्व है मैं नारी हूँ ,मुझे गर्व है मैं नारी हूँ।
........_anshu