...

3 views

ज़िंदादिल
राख उड़ती है फिज़ाओं में।
और दर्द तेरा नदियों सा बहता जाता है।
कोई कहता है ये तू नहीं है।
कोई तुझे सदियों में भी ना ढूंढ पाता है।
कोई कहता है दिलजला है तू।
कोई हर वक़्त तुझे भुल ही जाता है।
कोई है दरपेश तेरे हर लम्हा।
कोई ज़िंदा कभी तुझको क्या याद आता है?
कोई खंजर भी लगा देता है तेरे सीने में।
कोई दवा के नाम पर ज़हर दे जाता है।
कोई बोलता है तू सुन बस उनकी।
कोई कहां तेरी चुप्पी को कभी सुन पाता है?
कोई देखता नहीं तुझे पलट कर...