...

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ग़ज़ल
वक़्त को बे-वज़ह ज़ाया न करें
पत्थरों पर फूल उगाया न करें

फूल धँस जातें हैं मेरे सीने में
आप यूँ ही मुस्कुराया न करें

बच्चे रोते हैं हकीकत देखकर
भूख का नक्शा पढ़ाया न करें

जीतकर शुरुआत के हर मैच को
आप आख़िर में रुलाया न करें

पालते हैं खूँ की कीमत में हमें
बाप की मेहनत को ज़ाया न करें

चाँदनी बस चार दिन की होती है
आप 'जर्जर' दिल लगाया न करें
© जर्जर