क्यों
इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है,
कहीं अपनापन तो कहीं पिट पीछे खंजर क्यों है।
सुना है तू इस संसार के हर कोने में रहता है,
तो फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद, तो कहीं मंदिर क्यों है।
जब रहने वाले हर एक बंदा तेरे हैं,
तो फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है।
दुनिया में इतने...
कहीं अपनापन तो कहीं पिट पीछे खंजर क्यों है।
सुना है तू इस संसार के हर कोने में रहता है,
तो फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद, तो कहीं मंदिर क्यों है।
जब रहने वाले हर एक बंदा तेरे हैं,
तो फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है।
दुनिया में इतने...