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अश्वथामा और हनुमान जी का संवाद
#युगसंवाद.... हे अंजनी के वीर पुत्र,द्रोण पुत्र तुम्हें पुकार रहा | क्या आज भी लगता हैं तुमको मुझसा ना कोई पापी यहाँ
अश्वथामा की पुकार सुन, केसरी नंदन साधना से जाग उठे,

अभी तो कलियुग का प्रथम चरण हैं, अश्वथामा क्यों पुकार उठे|
हिरण्या वेग से उड़ महावीर, अश्वथामा के पास गए,
क्या कोई संकट आन पड़ी वत्स जो तुम इतने अधीर हुए |
महावीर ने देखा उनके नेत्रों से, अश्रुधारा थी टपक रही,
प्रश्नों के अम्बार थे मुख पे े द्वन्द ह्रदय में चल रही |
हे भगवन इस युग की दशा मुझसे अब ना देखी जाती,
पापों का बढ़ता स्तर, अब मानवता ही बेचीं जाती |
मैं पापी था जो मैंने, गर्भस्त शिशु पे प्रहार किया,
देखो ना इस युग में भगवन, माँ ने ममता को शर्मसार किय|
इस कलयुग में नित बेटियां गर्भ में ही मारी जाती,
आ जाये इस दुनियां में तो बेटी होने का कर्ज़ चुकाती |
दुशासन , दुर्योधन को उनके कर्मों का था दंड मिला,
अब पापियों की फौज खड़ी तो कहा गयी माधव की लीला |
भीष्म, कर्ण और गुरु द्रोण को,मौन रहने की सजा मिली,
यहाँ हो रहे नित्य चिर हरण पर सत्ता भी मूक रही |
चक्र सुदर्शन ने पापियों का चुन चुन के किया था संहार,
कब कल्कि बन आएंगे प्रभु मनुष्यता की हदें हुई पार |
अश्वथामा की तनी भृ कटी को अंजनी पुत्र ने गौर से देखा,
घूम गयी नज़रों के आगे त्रेता द्वापर की लेखा जोखा |
बोले पुत्र अभी तो कलियुग का सिर्फ प्रथम चरण हैं आया,
आदमी आदमी को खायेगा ा होगा जगत में मातम छाया |
वृक्ष, नद नदी, नाले और झरने सब के सब सूखे जायेंगे,
एक बूँद पानी की खातिर लोग आतंक मचाएंगे |
हे पुत्र कलियुग का अन्तिम चरण जब आयेगा,
श्री हरी का कल्कि रूप इस जग का बेड़ा पार लगाएगा ||
श्वेता सिंह


© shweta Singh