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दूसरी लहर
दूसरी लहर

लो फिर आ गई दूसरी लहर दुनिया में,
फिर लौटी है वही ड़रावनी शाम दुनिया में !
सोचा था के अब तो करेंगे मौज़ मस्ती सभी,
सोचा ना था की फिर होगा हंगामा ये दुनिया में !

कर लो तैयारियां फिर थालिया बजाने की,
कमर कस लो पहन कर ढाल फौलाद बन जाओ !
शाम ढलते सभी अपने अपने आँगन में पहुंच जाना,
जलाकर शमा रख देना शायद रौशनी हो जाये !

ना देखता है किसी...