...

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जिंदगी तु जिंदगी
जिंदगी तु जिंदगी, तुझसे करें हम क्या गीला!
कल तो थी, गम की छाया,
आज हमें खुशियां मिला!

सबकी यहाँ अपनी पसंद,
सब का है अपना खुदा,
कोई मतलब से मिले यहाँ,
कोई दिल से मिल कर जुदा,

जिंदगी तु जिंदगी, तुझसे करें हम क्या गीला!

अकसर लोग कहते है यहाँ,
मर जायेंगे तेरे बिना,
जब छोड़ दें 'वो 'राहों में हाथ,
तब घुट- घुट कर पडता हैं जीना,

जिंदगी तु जिंदगी ,तुझसे करें हम क्या गीला!

जिंदगी तु अब तो कुछ रहम दिखा,
इश्क कर गुनाह किया,
कितना देगी मुझको सजा,

जिंदगी तु जिंदगी, तुझसे करें हम क्या गीला!

बस भी कर अब सेह चुकी, छोटी -सी नादान हूं,
जल्दी से थम जा ऐ सांसें, देख बनी बेजान हूं,

बहुत हुआ अब आंख मिचोली,
बंद कर ये मेला,
मौत बनकर ऐ ज़िन्दगी,
मुझे तु अब विष पिला,

जिंदगी तु जिंदगी, तुझसे करें हम क्या गीला!


{विष्णु प्रिया}