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सह जाते हैं हम
राज़ ए दिल कहां कह पाते हैं हम।
कुछ सोच के बस रह जाते हैं हम।।
कहीं हो न तुम्हारी दिल्लगी ये भी।
दिलकी लगी बस सह जाते हैं हम।।
तेरी आंखों के इस गहरे समंदर में।
तिनका बन बस बह जाते हैं हम।।
कहना तो चाहते हैं दिल का हाल।
कुछ और ही बस कह जाते हैं हम।।
तुम बनते हो अंजान सब जान के।
सितम ये तेरा बस सह जाते हैं हम।।
कुछ सोच के बस रह जाते हैं हम।।
कहीं हो न तुम्हारी दिल्लगी ये भी।
दिलकी लगी बस सह जाते हैं हम।।
तेरी आंखों के इस गहरे समंदर में।
तिनका बन बस बह जाते हैं हम।।
कहना तो चाहते हैं दिल का हाल।
कुछ और ही बस कह जाते हैं हम।।
तुम बनते हो अंजान सब जान के।
सितम ये तेरा बस सह जाते हैं हम।।
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