...

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काश
एक रोज़ गलती से ही सही तुझे call हो जाए
देखते है तुझे काश एक रोज़ तू मिल जाए
झुक जाएंगे तेरे लिये आख़िर कितना
मेरी भी एक हद है काश तू ये जान जाए
ढूंढते फिरते नही किसी और को
तुम ही तो ज़हन मे हो
काश तू ये समझ जाए
ज़्यादा शोर बर्दाश्त नही होता
तेरे जाने का शोर करता है बहुत
काश तू ये समझ जाए
वक़्त ने सिक्का उछाला है
Bating तुम ही करो हम gugali मे माहिर है
हमे खुश करने को काश तुम bold हो जाओ
लाश से हैं... कब तक रहे हम ज़िंदा यार
काश तुम सासों मे आकर हम मे घुल जाओ
अरे!!! कितना लिखे तुम्हें तुम समझते अब तक नही
ख्वाबों मे नही काश तुम हक़ीक़त मे आ जाओ
माना गजनी है तुम्हारे लिये पर वादे याद है सारे
काश शब्दों के ख़ातिर तुम ख़ुद से हार जाओ
© कृतिका जोशी