#दूर....✍️
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा है कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा है कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा है कोई,
क्षण प्रतिक्षण का सुख ढूंढ रहा है कोई।
प्रीत का गीत सुना कर भी रो रहा है...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा है कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा है कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा है कोई,
क्षण प्रतिक्षण का सुख ढूंढ रहा है कोई।
प्रीत का गीत सुना कर भी रो रहा है...