...

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यह ज़िन्दगी
कहते है हर फल का अपना एक मौसम होता है ,और
मौसम जाने पर उसका स्वाद फीका सा पढ़ जाता है।
लगता है उसी फल क़ि तरह हो गयी है हमारी यह ज़िन्दगी,
क्योंकि,ज़िन्दगी जी तो रहे है पर सारी ज़िन्दगी बेसुवाद हो चुकी है।