...

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“गुज़ारिश”
तुझ से एक गुज़ारिश है
प्यार को हक़ीक़त होने दो
छलावे की भी एक सीमा है
हमारे पहलू में भी पल दो पल बैठा करो
तेरे लिए मैंने ज़माने से दुश्मनी की है
अपने सानिध्य से मुझे विभोर किया करो
लगे ऐसा जैसे हो रही सुखद बारिश है
गाहे बाहे सीने से लगा लिया करो
बस अब तो तू ही मेरी ज़िंदगी और हर्ष है।
#ramphalkataria
© Ramphal Kataria