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ख़ुशी में ख़ुश....
सबकी ख़ुशी रहूँ ख़ुश, ऐसा तू मेरा जीवन कर दे,
ऐ ख़ुदा! समझूँ नज़रिया, ऐसा तू मेरा मन कर दे।
हाथ पर लिखा, तेरे सिवा कोई बदल नहीं सकता,
मुस्कान खिलकर उगे, ऐसा तू मेरा आँगन कर दे।
सूनी आँखों से होने लगे अब उम्मीदों की बरसात,
पूरी हो इनकी ख़्वाहिश,ऐसा तू मेरा सावन कर दे।
दर्द बहुत देती, अपनों से अपनों की होती रुस्वाई,
बीच आए ना ख़ुदगर्ज़ी, ऐसा तू मेरा जतन कर दे।
ज़ख़्मों पे डाल हँसी-पर्दा, आदत है जीने की 'धुन',
हँसते-हँसाते ही जाऊँ मैं, ऐसा तू मेरा मरन कर दे।
-संगीता पाटीदार 'धुन'
#sangeetapatidar #Poetry
© संगीता पाटीदार
ऐ ख़ुदा! समझूँ नज़रिया, ऐसा तू मेरा मन कर दे।
हाथ पर लिखा, तेरे सिवा कोई बदल नहीं सकता,
मुस्कान खिलकर उगे, ऐसा तू मेरा आँगन कर दे।
सूनी आँखों से होने लगे अब उम्मीदों की बरसात,
पूरी हो इनकी ख़्वाहिश,ऐसा तू मेरा सावन कर दे।
दर्द बहुत देती, अपनों से अपनों की होती रुस्वाई,
बीच आए ना ख़ुदगर्ज़ी, ऐसा तू मेरा जतन कर दे।
ज़ख़्मों पे डाल हँसी-पर्दा, आदत है जीने की 'धुन',
हँसते-हँसाते ही जाऊँ मैं, ऐसा तू मेरा मरन कर दे।
-संगीता पाटीदार 'धुन'
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