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पिता हमारे पालक
पिता हमारे पालक वही घर के हैं संचालक
उनके कंधों पर भाड़ है सम्पूर्ण परिवार की
हमारे लिए पिताजी धूप में पीपल की छाऊं
और बारिश में हमारे सर पे छाता बन जाते हैं
आए जो हम पर कभी कोई समस्या तो पापा
सबसे आगे खड़े हो जाते हैं ..........
उनके चरणों में स्वर्ग है उनकी बातों में सीख,
उनकी डांट में चिंता और दुलार से स्नेह टपकता
अपना संपूर्ण जीवन बच्चों के लिए निछावर कर देते
अपनी खुशियां तज कर बच्चों के लिए खिलौने लाते
कहीं कुछ रह ना जाए बच्चों की परवरिश में कमी
इसी सोच में पापा जी अपने दिन और रात गुजरते
शब्दों में बयां होता नहीं पिता के स्नेह का व्याख्यान
लुटा देते हैं पिता स्वयं को बच्चों को बनाने में इंसान
किरण