*** दिल से ***
*** कविता ***
*** दिल से ***
" होश में मैं रह तो लूं ,
उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें ,
रहने दें इस खुमारी में ताउम्र ,
उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से ,
कहने को ये बात ही सिर्फ ,
अब कौन सी किसकी मुस्कान...
*** दिल से ***
" होश में मैं रह तो लूं ,
उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें ,
रहने दें इस खुमारी में ताउम्र ,
उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से ,
कहने को ये बात ही सिर्फ ,
अब कौन सी किसकी मुस्कान...