...

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दिल ये बेचैन हैं
दिल ये बेचैन हैं, तेरी यादों में,

ढुंढने लगे हैं अब हम तुम्हें, हमारे ख्वाबों में|

दिल ये धडकता हैं क्यों, देखते ही तुम्हें?

शायद, हर रोज तुम्हें देखने कि आदत हो गयी हैं अब हमें|

जब नजरों के सामने, नही होती हो तुम,

पता नही, ये दिल हो जाता हैं कही गुम|

रात के उस चांद में भी, बस दिखने लगी हो तुम,

न जाने ऐसा लगता हैं जैसे, हमारे दिल में अब रहने लगी हो तुम|

ये दिल है तो बडा नाजूक, जो थोडा भी दर्द ना सहें,

तुमसे बातें करने के लिये, ये दिल रोज यूहीं तड्पे|

बोल के बोल के थक जाते हैं हम, जरा मुस्कुराओं तो तुम,

बस, उस मुस्कुराहट को देखने के खातीर, पागलों कि तरह नाचने लगते हैं हम|

तुम्हारी उस मुस्कुराहट से, लगता हैं जैसे आसमान मैने छू लिया,

हम तुमसे प्यार करते हैं सनम, क्योंकी हमने आपको ये दिल दे दिया|


© yogi