सिसकते हुए से जज़्बात
सिसकते हुए से जज़्बात, दिल की गहराइयों से उठते हैं,
हर आह में छुपे हैं, वो दर्द जो लफ्ज़ों में नहीं ढलते हैं।
आँखों में समंदर लिए, दिल में दर्द हज़ार,
होंठों पे मुस्कान लिए, छुपाते हैं हर बार।
टूटे ख्वाबों के टुकड़े, समेटे हाथों में,
चल दिए मंज़िल की ओर, तन्हाई के साथ लिए।
रात की तन्हाई में, वो यादें बार-बार आती...
हर आह में छुपे हैं, वो दर्द जो लफ्ज़ों में नहीं ढलते हैं।
आँखों में समंदर लिए, दिल में दर्द हज़ार,
होंठों पे मुस्कान लिए, छुपाते हैं हर बार।
टूटे ख्वाबों के टुकड़े, समेटे हाथों में,
चल दिए मंज़िल की ओर, तन्हाई के साथ लिए।
रात की तन्हाई में, वो यादें बार-बार आती...