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"आत्महत्या"
जीवन चक्र में ऐसा पल भी आता है,
जब जीवन से मन भर जाता है,
जिसे देखकर हम जीतें थे,
उसी के संग जीना दूभर हो जाता है।

आठो पहर सिर्फ अंधेरा दिखता है,
अस्मिता का खजाना टुकड़ों में बिकता है,
जितना खुद को सही साबित करने का प्रयास करो,
उतना ही अविश्वास अपनों में दिखता है।

अपने दुखों को सबसे बताना आसान नही होता,
कोई समझ के बदनाम न करे ऐसा इंसान नही होता,
दिल को होने लगता है यकीन इस बात पर,
इस दुनियां में कोई स्थायी मेहमान नही होता।

वक़्त से लड़कर जब मन टूट जाता है,
अपने परायों सबसे दिल रुठ जाता है,
छोटी सी ज़िन्दगी में तन्हा होकर,
सांसों का दामन अपने ही हाथों से छूट जाता है।

आप जिसके लिए जान देंगे,
वो पल भर में आपको मरा मान लेंगे,
आप जिसे सबक सिखाना चाहतें थें,
वो बड़े मजे से ज़िन्दगी का काम लेंगे।

क्या सही खुद की कुर्बानी है,
आपको देखकर जीने वालों की भी कहानी है,
अगर अपनों से भर जाए मन आपका,
तो दुनियां में खुद को मिला लेने में क्या बेईमानी है।

लाचारों का सहारा बनकर,
इंसानियत के रिश्तें को निभाना चाहिए,
जाना तो सबको है एक दिन,
ईश्वर के काम के बीच नही आना चाहिए।

जी कर ज़िन्दगी को खुशहाल बनाओ,
देकर जान न अपनें आत्मजनों को सताओ,
अपने दम पर जीने की कला है तुममे,
जिसने आपको नही समझा उसे खुश होकर जलाओ,
जी कर ज़िन्दगी को खुशहाल बनाओ।
देकर जान न अपनें आत्मजनों को सताओ।।

(कभी भी आत्महत्या न करें न करने दें,जीवम ईश्वर की देन है,उसे उनके लिए व्यर्थ न करें जिनके लिए आप व्यर्थ हैं।)