आखिर कबतक?
मिलती नहीं हर खुशी
कुछ पाने के बाद
खोना पड़ता है
बहुत कुछ
मिटाकर सारी याद।
मिलती नहीं शांति
सिशे के उस महल में,
उजरती नहीं जो बस्तियां
आंधी की इस पहल से ।
दुश्मन है जहां इंसान ही आज खुद का...
कुछ पाने के बाद
खोना पड़ता है
बहुत कुछ
मिटाकर सारी याद।
मिलती नहीं शांति
सिशे के उस महल में,
उजरती नहीं जो बस्तियां
आंधी की इस पहल से ।
दुश्मन है जहां इंसान ही आज खुद का...