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फासले
करते रहें हम वफ़ा जिनसे,
वो बेवफाई करते रहे।
करते रहें हम प्यार जिनसे
वो नफरत की खेती करते रहे।
मरते रहे जिन पर हम
वो सितम गर बने रहे।
करते रहें हम तारीफें जिनकी
वो हमारी निंदा ही करते रहे।
अब क्या सोचना दिलेनादां
फासले ही बेहतर लग रहे।।
वो बेवफाई करते रहे।
करते रहें हम प्यार जिनसे
वो नफरत की खेती करते रहे।
मरते रहे जिन पर हम
वो सितम गर बने रहे।
करते रहें हम तारीफें जिनकी
वो हमारी निंदा ही करते रहे।
अब क्या सोचना दिलेनादां
फासले ही बेहतर लग रहे।।
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