बताओ ऐसा अनर्थ तुम क्यों करते हो
मन में रह रह के सवाल
उठता है
बार बार जाने क्यों एक ही सवाल उठता है
ये गणपतिजी महाराज का
आखिर विसर्जन क्यों
जब विसर्जन ही करना था
तो लाए क्यों
गणपतिजी अपनी दुर्दशा
देख सोचते हैं
पहले तो प्यार से बुलाते हैं
मैं कु छ कहता नहीं
इसी बात का नाज़ायज
फायदा उठाते हैं
ढ़ोल नगाड़े के संग मेरा
विसर्जन कभी पानी में या फिर
पीपल तले मुझे...
उठता है
बार बार जाने क्यों एक ही सवाल उठता है
ये गणपतिजी महाराज का
आखिर विसर्जन क्यों
जब विसर्जन ही करना था
तो लाए क्यों
गणपतिजी अपनी दुर्दशा
देख सोचते हैं
पहले तो प्यार से बुलाते हैं
मैं कु छ कहता नहीं
इसी बात का नाज़ायज
फायदा उठाते हैं
ढ़ोल नगाड़े के संग मेरा
विसर्जन कभी पानी में या फिर
पीपल तले मुझे...