ये कैसी किस्मत हे .....
तन्हाई में सोचा
ये कैसी किस्मत हे
ना पा सका ना खो सका
ये कैसी मोहब्बत हे
बो मेरे पास हे पर मेरा नहीं
दर्द जो दिल में उठता है उसका कोई दबा नही
रोऊ तो भी किसके कंधे में रख कर सर
मेरे दर्द में किसी को गीला नहीं
खुदा भी अब मेरा सुनता नहीं
ना जाने ये कैसे अजरज हे मेरी
ना रख सकी ना छोड़ सकी
बस शिकायत का पोटली ले
खुद से ही में लड़ सकी
ना उसके सामने खुली जुबान
ना उसके सामने दिया ये बयान
घुटती रही बस अंदर ही अंदर
क्या हे सच क्या है झूट
क्या चाहिए हिम्मत अपनो से लड़ने की
या फिर चाहिए...
ये कैसी किस्मत हे
ना पा सका ना खो सका
ये कैसी मोहब्बत हे
बो मेरे पास हे पर मेरा नहीं
दर्द जो दिल में उठता है उसका कोई दबा नही
रोऊ तो भी किसके कंधे में रख कर सर
मेरे दर्द में किसी को गीला नहीं
खुदा भी अब मेरा सुनता नहीं
ना जाने ये कैसे अजरज हे मेरी
ना रख सकी ना छोड़ सकी
बस शिकायत का पोटली ले
खुद से ही में लड़ सकी
ना उसके सामने खुली जुबान
ना उसके सामने दिया ये बयान
घुटती रही बस अंदर ही अंदर
क्या हे सच क्या है झूट
क्या चाहिए हिम्मत अपनो से लड़ने की
या फिर चाहिए...