...

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हद हो चुकी
हाँ में हाँ ना में ना सुनो तो समझना,
प्रिय की ख़्वाहिशें रद्द हो चुकीं।

होंठ हंसते रहें और नयन चुप हों तो समझना,
सीने में गहरी ज़द हो चुकी।

पानी देखो किसी मर्द की आंखों में तो समझना,
बर्दास्त की हद्द हो चुकी।
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