मेरा बंजारा मन…
मेरा बंजारा मन ही तो था,
भटकता रहता था, हर जगह,
हर शहर, हर गली में, सच्ची
मोहब्बत की तलाश में, और
फिर एक दिन तुम मिल गयी,
और इसकी तलाश वही पर,
हमेशा के लिये ख़त्म हो गयी;
तलाश तो ख़त्म हो गई मेरी,
मगर साथ ना होने की, एक
नयी समस्या आकर खड़ी हो
गई, समझ नहीं आ रहा था,
कि, यह सही हुआ या ग़लत;
शुरू हो गई एक नई कोशिश,
हर तरकीब लगाकर सोच रहे
हैं, अब दोनों ही कि, कब होंगे
साथ और कर सकेंगे हम फिर,
ज़िंदगी की एक नई शुरुआत..
© सुneel
भटकता रहता था, हर जगह,
हर शहर, हर गली में, सच्ची
मोहब्बत की तलाश में, और
फिर एक दिन तुम मिल गयी,
और इसकी तलाश वही पर,
हमेशा के लिये ख़त्म हो गयी;
तलाश तो ख़त्म हो गई मेरी,
मगर साथ ना होने की, एक
नयी समस्या आकर खड़ी हो
गई, समझ नहीं आ रहा था,
कि, यह सही हुआ या ग़लत;
शुरू हो गई एक नई कोशिश,
हर तरकीब लगाकर सोच रहे
हैं, अब दोनों ही कि, कब होंगे
साथ और कर सकेंगे हम फिर,
ज़िंदगी की एक नई शुरुआत..
© सुneel