...

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जीवन मुरझा जाता है।
जीवन एक पल खिलता है,
दूजे पल मुरझा जाता है।
मैं पास जरा सा जाता हूं,
वो सौ मील दूर चला जाता है।
दिल का गुलदस्ता पैरों तले,
रोज रोज कुचला जाता है।
खुशियों की दो चार वजह भी,
दुख का दानव खा जाता है।
यूं रोज रोज बिखर कर बनना,
मुझसे नहीं सहा जाता है।
मैंने की अपनी ये हालत,
अब जिंदा नहीं रहा जाता है।
कुछ नीर सूखता आंखो का,
कि फिर से कोई बादल आ जाता है।
जीवन एक पल खिलता है,
दूजे पल मुरझा जाता है।
© lekhan🌷