क़ायनात की जन्मदात्री
नख से शिख करतीं श्रृंगार,
हों फ़िर भी एकांकीपन का शिकार।
हिना के रंगों से रंगोली तक,
सजे,सजायें,महकायें देख न है शक।
कभी प्रेयसी,कभी माँ बनके,
निभाये "रिश्ते "फक़त अपने बनके।
बाहर से ले...
हों फ़िर भी एकांकीपन का शिकार।
हिना के रंगों से रंगोली तक,
सजे,सजायें,महकायें देख न है शक।
कभी प्रेयसी,कभी माँ बनके,
निभाये "रिश्ते "फक़त अपने बनके।
बाहर से ले...