आखरी सब्र
ना जाने वो खूबसूरत शाम कब आएगी,
चार कंधों पर सवार हमारी मंजिल तक ले जायेगी ।
हर वो सुनहरा पल जिंदगी का मुझे याद दिलाएगी ।
सारी परेशानियो से दूर सोने के लिए मेरा बिस्तर लकड़िया सजायेगी ।
शायद ही आवाज देगा हर याद करने वाला मुझे,
पर नींद तब तक गहरी हो जाएगी ।
दुनिया से कोसो दूर अकेले में मुझे एक जगह मिल जाएगी ,
सब्र से मेरी मुलाक़ात हो जाएगी ।
ना जाने वो खूबसूरत शाम कब आएगी ।।
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