Majboori
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**#मजबूरी**
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानो क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
दर्द में मुस्कुराते रहना भी ज़रूरी है।
क्या जानो तुम,
कई बार अपने आप को इस ज़ालिम दुनिया की खुशी के लिए
कुर्बान कर देना भी दिमाग की जी हज़ूरी
और दिल की मजबूरी है।
क्या पता होगा तुम्हें,
दिन-रात अपने माता-पिता के लिए मेहनत करने के बाद भी
"नालायक है तू" सुनना भी पड़ता होगा।
क्या पता होगा तुम्हें,
अपने अंदर के तूफ़ान को यूँ...